भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।


(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।


(क) भाव- कवियत्री ने अपना सम्पूर्ण जीवन सांसारिक विषयों में फंसकर गंवा दिया। उसने जीवन के अंतिम समय में अपने जीवन का लेखा-जाखा देखा तो उनके पास ईश्वर को देने के लिए सद्कर्म/पुण्य कार्य जैसा कुछ भी न था।

(ख) भाव- इन पंक्तियों में कवियत्री ने मनुष्य को सांसारिक भोग तथा त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह दी है कि विषय-वासनाओं के अधिकाधिक भोग से कुछ मिलनेवाला नहीं है तथा भोगों से विमुखता एवं त्याग की भावना से मन में अहंकार पैदा होगा, इसलिए मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। माध्यम मार्ग का अभिप्राय है कि सीमित मात्रा में एवं जरूरत के हिसाब से संसाधनों का उपभोग किया जाए|


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